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किसान क्रेडिट कार्ड

बकरी पालन व्यवसाय में है पैसा ही पैसा

बकरी पालन व्यवसाय में है पैसा ही पैसा

बकरी पालन के आधुनिक तरीके को अपना कर आप मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। जरूरत सिर्फ इतनी है, कि आप चीजों को बारीकी से समझें और एक रणनीति बना कर ही काम करें। 

पेशेंस हर बिजनेस की जरूरत है, अतः उसे न खोएं, बकरी पालन एक बिजनेस है और आप इससे बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।

गरीबों की गाय

पहले बकरी को गरीब किसानों की गाय कहा जाता था। जानते हैं क्यों क्योंकि बकरी कम चारा खाकर भी बढ़िया दूध देती थी, जिसे किसान और उसका परिवार पीता था। 

गाय जैसे बड़े जानवर को पालने की कूवत हर किसान में नहीं होती थी। खास कर वैसे किसान, जो किसी और की खेती करते थे। 

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आधुनिक बकरी पालन

अब दौर बदल गया है, अब बकरियों की फार्मिंग होने लगी है। नस्ल के आधार पर क्लोनिंग विधि से बकरियां पैदा की जाती हैं। देसी और फार्मिंग की बकरी, दोनों में फर्क होता है। यहां हम देसी की नहीं, फार्मिंग गोट्स की बात कर रहे हैं। 

जरूरी क्या है

बकरी पालन के लिए कुछ चीजें जरूरी हैं, पहला है, नस्ल का चुनाव, दूसरा है शेड का निर्माण, तीसरा है चारे की व्यवस्था, चौथा है बाजार की व्यवस्था और पांचवां या सबसे जरूरी चीज है, फंड का ऐरेन्जमेंट। ये पांच फंडे क्लीयर हैं, तो बकरी पालन में कोई दिक्कत नहीं जाएगी। 

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नस्ल या ब्रीड का चयन

अगर आप बकरी पालने का मूड बना ही चुके हैं, तो कुछ ब्रीडों के बारे में जान लें, जो आने वाले दिनों में आपके लिए फायदे का सौदा होगा। 

आप अगर पश्चिम बंगाल और असम में बकरी पालन करना चाहते हैं, तो आपके लिए ब्लैक बेंगार ब्रीड ठीक रहेगा। लेकिन, अगर आप यूपी, बिहार और राजस्थान में बकरी पालन करना चाहते हैं, तो बरबरी बेस्ट ब्रीड है। 

ऐसे ही देश के अलग-अलग हिस्सों में आप बीटल, सिरोही जैसे ब्रीड को ले सकते हैं। इन बकरियों का ब्रीड बेहतरीन है। ये दूध भी बढ़िया देती हैं, इनका दूध गाढ़ा होता है और बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए आदर्श माना जाता है। 

ट्रेनिंग कहां लें

आप बकरी पालन करना तो चाहते हैं, लेकिन आपको उसकी एबीसी भी पता नहीं है। तो चिंता न करें, एक फोन घुमाएं नंबर है 0565-2763320 यह नंबर केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा, यूपी का है। यह संस्थान आपको हर चीज की जानकारी दे देगा। अगर आप जाकर ट्रेनिंग लेना चाहते हैं, तो उसकी भी व्यवस्था है। 

शेड का निर्माण

इसका शेड आप अपनी जरूरत के हिसाब से बना सकते हैं, जैसे, शुरुआत में आपको अगर 20 बकरियां पालनी हैं, तो आप 20 गुणे 20 फुट का इलाका भी चूज कर सकते हैं। 

उस पर एसबेस्डस शीट लगा कर छवा दें, बकरियां सीधी होती हैं। उनको आप जहां भी रखेंगे, वो वहीं रह जाएंगी, उन्हें किसी ए सी की जरूरत नहीं होती। 

भोजन

बकरियों को हरा चारा चाहिए, आप उन्हें जंगल में चरने के लिए छोड़ सकते हैं, आपको अलग से चारे की व्यवस्था नहीं करनी होगी। लेकिन, आप अगर जंगल से दूर हैं, तो आपको उनके लिए हरे चारे की व्यवस्था करनी होगी। 

हरे चारे के इतर बकरियां शाकाहारी इंसानों वाले हर भोजन को बड़े प्यार से खा लेती हैं, उसके लिए आपको टेंशन नहीं लेने का। 

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कितने दिनों में तैयार होती हैं बकरियां

एक बकरी का नन्हा बच्चा/बच्ची 10 माह में तैयार हो जाता है, आपको जो मेहनत करनी है, वह 10 माह में ही करनी है। इन 10 माह में वह इस लायक हो जाएगा कि परिवार बढ़ा ले, दूध देना शुरू कर दे। 

बाजार

आपकी बकरी का नस्ल ही आपके पास ग्राहक लेकर आएगा, आपको किसी मार्केटिंग की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इसलिए नस्ल का चयन ठीक से करें। 

फंड की व्यवस्था

आपके पास किसान क्रेडिट कार्ड है, तो उससे लोन ले सकते हैं। बकरी पालन को उसमें ऐड किया जा चुका है। केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) नहीं है तो आप किसी भी बैंक से लोन ले सकते हैं। 

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कोई बीमारी नहीं

अमूमन बकरियों में कोई बीमारी नहीं होती, ये खुद को साफ रखती हैं। हां, अब कोरोना टाइप की ही कोई बीमारी आ जाए तो क्या कहा जा सकता है, इसके लिए आपको राय दी जाती है, कि आप हर बकरी का बीमा करवा लें। खराब हालात में बीमा आपकी बेहद मदद करेगा।

लघु और सीमांत किसानों को अब सुगमता से मिला ऋण

लघु और सीमांत किसानों को अब सुगमता से मिला ऋण

भारत के लघु कृषकों को वर्तमान में आसानी से कर्जा मिल पाऐगा। बतादें, कि मोदी सरकार शीघ्र ही एक नया प्रोग्राम लॉन्च करने जा रही है, जिसके अंतर्गत ऋण और इससे जुड़ी सेवाओं के लिए एआरडीबी से जुड़े छोटे और सीमांत किसानों को फायदा होगा। देश के लघु कृषकों के लिए केंद्र सरकार शीघ्र ही नवीन योजना जारी करने जा रही है। दरअसल, केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह शीघ्र ही कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (Rural Development Banks) और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (Registrar of Cooperative Societies) लिए कम्प्यूटरीकरण परियोजना का आरंभ करने जा रही है। 

आधिकारिक बयान के मुताबिक, अमित शाह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एआरडीबी और आरसीएस की कम्प्यूटरीकरण परियोजना को लागू करेंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन सहकारिता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) की मदद से किया जा रहा है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (ARDBs) और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (RCSs) कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण मंत्रालय द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। 

एनसीडीसी की मदद से सहकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित

यह कार्यक्रम एनसीडीसी (राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम) के सहयोग से सहकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (ARDBs) और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (RCSs) कार्यालयों का पूर्णतय कंप्यूटरीकरण  किया जाएगा, जो सहकारिता मंत्रालय द्वारा उठाया गया एक अहम कदम है। बयान में कहा गया है, कि इस परियोजना के जरिए सहकारी क्षेत्र का आधुनिकीकरण और दक्षता बढ़ाई जाऐगी। जहां संपूर्ण सहकारी तंत्र को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जाऐगा। 

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एआरडीबी की 1,851 इकाइयों को कंप्यूटरीकृत करने का कार्य जारी 

बयान में कहा गया है, कि 13 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में एआरडीबी की 1,851 इकाइयों को कंप्यूटरीकृत किया जाएगा। साथ ही, इन्हें राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के साथ जोड़ा जाऐगा। इसके जरिए सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाले एक सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर आधारित होंगे। यह पहल कॉमन अकाउंटिंग सिस्टम (सीएएस) और मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) के द्वारा व्यावसायिक प्रक्रियाओं को मानकीकृत करके एआरडीबी में कार्य संचालन क्षमता, जवाबदेही और पारदर्शिता को प्रोत्साहित करेंगे। इस कदम से प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटीज (पैक्स) के जरिए छोटे और सीमित कृषकों को एकड़ और संबंधित सेवाओं के लिए एआरडीबी से लाभ मिलेगा। 

किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के फायदे

किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के फायदे

खेती के लिए किसान किसी बैंक से या वही के किसी सेठ से पैसे उधार पे लेते है, और बैंक या सेठ पैसे के साथ ब्याज भी बहुत ज्यादा रख देता है. 

बाद में जअब पैसे वापस करने होते है तो बहुत ज्यादा ब्याज की वजह से किसान जितना कमाते है उतना उनका उधर चुकाने में चला जाता है. जिस वजह से सरकार ने किसानों के लिए सस्ते लोन लेने के लिए और साहूकारों के कर्ज से बचने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड किसानों के लिए बनवाया है. 

3 लाख तक का कर्ज 9 प्रतिशत की ब्याज दर पे मिलता है . जिसमे सरकार 2 प्रतिशत तक की सब्सिडी और अगर आपने अपने लोन के पैसे निर्धारित समय पर वापस कर दिए तो ब्याज में 3% की और छूट मिल जाएगी. 

इस तरह तो सिर्फ 4% ब्याज दर पे 3 लाख का लोन किसान क्रेडिट कार्ड से मिलेगा. किसान क्रेडिट कार्ड से 1.60 लाख तक का लोन किसान बिना कोई गारंटी दिखाए ले सकता है.

किसान क्रेडिट कार्ड कैसे बनवाए

किसान क्रेडिट कार्ड बनवाना बहुत आसान है. इसे बनवाने से आपको खेती के लिए सस्ते दरों पर लोन मिल जाएगा. अगर आप पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी है तो आप केसीसी आसानी से बनवा सकते है.  

पीएम किसान की अधिकारिक वेबसाइट  में आप जाकर किसान क्रेडिट फॉर्म को डाउनलोड कर प्रिंट निकलवा ले फिर उसमे जो भी डिटेल्स हो भरने को कही हो वो भर दे. इसमें आवेदक का आधार कार्ड और पैन कार्ड की फोटो कॉपी लगाइए. 

और साथ ही किसान की पासपोर्ट साइज फोटो. साथ ही साथ एक एफिडेविट भी होना चाहिए जिसमे लिखा हो कि," मैने किसी और बैंक से लोन नहीं लिया है और न ही मेरा किसी बैंक में बकाया है". 

नजदीक के किसी बैंक में इस फॉर्म को जमा करवा दे. यदि बैंक को आपका आवेदन सही लगता है तो वो आपका 14 दिन के अंदर आपका कार्ड बन जाएगा.

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आप किसी नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर जाकर भी इसके लिए अप्लाई कर सके है. इसमें पट्टेदार व बटाईदार भी इसका लाभ उठा सकते हैं. यहां से किसान केसीसी आसानी से बनावा सकते है. समय पर मूलधन और ब्याज जमा कर आप इसका अधिक लाभ उठा सकते है. 

किसानों का काम सरकार ने किया आसान

पहले किसानों के लगभग 5 हजार रूपए क्रेडिट कार्ड बनवाने पर प्रॉसेसिंग फीस के रूप में लग जाते थे. परंतु अब 3 लाख रुपए तक के लोन के लिए कोई भी बैंक अप्लीकेंट से प्रोसेसिंग फीस, वेरिफिकेशन, लेजर फाॅलियों चार्ज और सर्विस टैक्स नहीं मांग सकता है.

देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानिए

देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानिए

नई दिल्ली। - लोकेन्द्र नरवार देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी तमाम योजनाएं संचालित हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाली कैबिनेट में देश के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किसानों व कृषि के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाई गईं हैं। इन योजनाओं के जरिए फसल उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ किसानों को आर्थिक मदद प्रदान की जा रही है। इसके अलावा देश के किसानों को अपना फसल उत्पादन बेचने के लिए एक अच्छा बाजार प्रदान किया जा रहा है। किसानों के लिए चलाई जा रहीं तमाम कल्याणकारी योजनाओं में समय के साथ कई सुधार भी किए जाते हैं। जिनका प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को ही फायदा मिलता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर - ICAR) द्वारा ''आजादी के अमृत महोत्सव'' पर एक पुस्तक का विमोचन किया है। इस पुस्तक में देश के 75000 सफल किसानों की सफलता की कहानियों को संकलित किया गया है, जिनकी आमदनी दोगुनी से अधिक हुई है।


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आइए जानते हैं किसानों के लिए संचालित हैं कौन-कौन सी योजनाएं....

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ( PM-Kisan Samman Nidhi ) - इस योजना के अंतर्गत किसानों के खाते में सरकार द्वारा रुपए भेजे जाते हैं। ◆ ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई योजना - इस योजना के माध्यम से किसान पानी का बेहतर उपयोग करते हैं। इसमें 'प्रति बूंद अधिक फसल' की पहल से किसानों की लागत कम और उत्पादन ज्यादा की संभावना रहती है। ◆ परम्परागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana (PKVY)) - इस योजना के जरिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है। ◆ प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना (पीएम-केएमवाई) - इस योजना में किसानों को वृद्धा पेंशन प्रदान करने का प्रावधन है। ◆ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana - PMFBY) - इस योजना के अंतर्गत किसानों की फसल का बीमा होता है। ◆ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) - इसके अंतर्गत किसानों को सभी रबी की फसलों व सभी खरीफ की फसलों पर सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य प्रदान किया जाता है। ◆ मृदा स्वास्थ्य कार्ड- (Soil Health Card Scheme) इसके अंतर्गत उर्वरकों का उपयोग को युक्तिसंगत बनाया जाता है। ◆ कृषि वानिकी - 'हर मोड़ पर पेड़' की पहल द्वारा किसानों की अतिरिक्त आय होती है। ◆ राष्ट्रीय बांस मिशन - इसमें गैर-वन सरकारी के साथ-साथ निजी भूमि पर बांस रोपण को बढ़ावा देने, मूल्य संवर्धन, उत्पाद विकास और बाजारों पर जोर देने के लिए काम होता है। ◆ प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण - इस नई नीति के तहत किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कराने का प्रावधान है। ◆ एकीकृत बागवानी विकास मिशन - जैसे मधुमक्खी पालन के तहत परागण के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और आमदनी के अतिरिक्त स्त्रोत के रूप में शहद उत्पादन में वृद्धि होती है। ◆ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) - इसके अंतर्गत कृषि फसलों के साथ-साथ डेयरी और मत्स्य पालन के लिए किसानों को उत्पादन ऋण मुहैया कराया जाता है। ◆ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana (PMKSY))- इसके तहत फसल की सिंचाई होती है। ◆ ई-एनएएम पहल- यह पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म के लिए होती है। ◆ पर्याप्त संस्थागत कृषि ऋण - इसमें प्रवाह सुनिश्चित करना और ब्याज सबवेंशन का लाभ मिलता है। ◆ कृषि अवसंरचना कोष- इसमें एक लाख करोड़ रुपए के आकार के साथ बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है। ◆ किसानों के हित में 10 हजार एफपीओ का गठन किया गया है। ◆ डिजिटल प्रौद्योगिकी - कृषि मूल्य श्रंखला के सभी चरणों में डिजिटल प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग पर जरूर ध्यान देना चाहिए  
सरकार ने बढ़ाई KCC की लिमिट, अब 1 लाख नहीं बल्कि इतना मिलेगा लोन

सरकार ने बढ़ाई KCC की लिमिट, अब 1 लाख नहीं बल्कि इतना मिलेगा लोन

भारत में किसानों की दयनीय हालत के बारे में हम सब जानते हैं और किसानों की जिंदगी को बेहतर करने के लिए सरकार समय-समय पर विभिन्न योजनाएं लाती रहती है। पिछले सालों के दौरान सरकार ने पीएम किसान योजना (PM Kisan Yojna) शुरू की थी जिसमें किसानों को 2000 रुपये की तीन किश्तें दी जाती थीं, यानी कि कुल 6000 रुपये का लाभ दिया जाता था (पीएम किसान योजना की वेबसाइट पर जाकर और जानकारी प्राप्त करें)। वैसे सरकार का मानना है कि किसान अगर खेती में इस्तेमाल होने वाले बेहतर बीज या कृषि उपकरणों का इस्तेमाल करें तो उनकी इनकम बढ़ाई जा सकती है। उसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक पुरानी किसान योजना को और भी बेहतर बना दिया है। इस योजना के अंतर्गत किसान अब 1 लाख 60 हजार रुपये का लाभ ले सकते हैं और अपनी खेती को बेहतर बना सकते हैं। कौन सी है ये योजना, आइए जानते हैं। इस स्कीम का नाम किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) है। वैसे यह स्कीम तो बहुत पहले से चल रही है, जिसमें किसान कम ब्याज़ दरों पर लोन लेते हुए अपनी खेती को बेहतर बना सकते हैं। पहले इस योजना के अंतर्गत बैंक किसानों को 1 लाख रुपये तक का कर्ज ही देते थे, लेकिन अब इस कर्ज की रकम 1 लाख 60 हजार रुपये कर दी गई है। इस तरह से अब किसान अपनी खेती और बेहतर बना पाएंगे और बढ़ती हुई महंगाई के बीच अपनी इनकम भी बढ़ा पाएंगे। ये भी पढ़ें : कृषि सब्सिडी : किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता के बारे में जानें अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि लोन पर तो ब्याज बहुत लगता है, तो इसकी चिंता करने की आपको जरूरत नहीं है। क्योंकि, इस स्कीम के अंतर्गत किसानों को सब्सिडी दी जाती है, इसलिए लोन बेहद कम ब्याज दरों पर उपलब्ध कराया जाता है और इसकी ब्याज दर केवल 4 प्रतिशत होती है। साथ ही अगर किसान समय पर अपना कर्ज चुकाते हैं, तो उन्हें इसेंटिव के तौर पर और भी छूट दी जाती है। गौर करने वाली बात है कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत साल 1998 में की गई थी। इस योजना का मकसद किसानों की पहुंच बैंक तक करने की थी। इसके पहले गरीब किसानों को बैंकों से कर्ज लेने में बहुत मशक्कत करनी पड़ती थी, लेकिन फिर भी कइयों को कर्ज नहीं मिल पाता था। पिछले कुछ सालों में किसानों ने केसीसी के माध्यम से लोन उठाया है और अपने जीवन को समृद्ध बनाया है। जैसा कि अब लोन की राशि बढ़ा दी गई है। ऐसे में किसान एक बार फिर से अपनी बेहतरी कि दिशा में बढ़ेंगे।
कृषि लोन लेने के लिए किसानों को नहीं होगी ज्यादा दिक्कत, रबी की फसल होगी जबरदस्त

कृषि लोन लेने के लिए किसानों को नहीं होगी ज्यादा दिक्कत, रबी की फसल होगी जबरदस्त

कृषि योजनाओं के तहत किसानों को सस्ती दर पर कृषि सम्बंधित कर्ज मिलेगा, किसान लोन योजनाओं के माध्यम से सहजता से कर्ज ले सकते हैं। मूसलाधार बारिश के चलते किसानों के ऊपर संकट के बादल छाए हुए हैं, ऐसे में किसानों को आर्थिक सहायता की बेहद आवश्यकता है। आकस्मिक आपदा की वजह से किसानों की फसल चौपट हो गयी है, उनको अब कोई भी आय का स्त्रोत नजर नहीं आ रहा है। किसानों ने सरकार से मुआवजे की भी मांग की है, पूर्णतया किसान सरकार के भरोसे ही बैठे हैं। इसमें कृषि लोन योजनायें किसानों की भरपूर मदद करेगी, जिससे किसानों को रबी की फसल उगाने के लिए आर्थिक चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। सरकार के साथ साथ निजी संस्थाए भी किसानों की सहायता के लिए आगे आ रही हैं।


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किसान क्रेडिट कार्ड क्या है

किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) किसानों के लिए आर्थिक सहायता काफी कम दर पर देने का माध्यम है, जिसको भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। किसान क्रेडिट कार्ड किसानों के लिए बेहद हितेषी साबित होता है, जिसके अंतर्गत किसानों को १ लाख ६० हजार रुपये तक की राशि, न्यूनतम दर पर बिना किसी गारंटी के किसानों को प्रदान की जाती थी। भारत सरकार द्वारा किसानों की दयनीय हालत को देखते हुए किसान क्रेडिट कार्ड की मर्यादा ३ लाख रूपए तक कर दी गयी है, ३ लाख तक के अल्पकालिक कर्ज पर १.५ प्रतिशत प्रति वर्ष छूट देने का ऐलान किया गया है। किसान क्रेडिट कार्ड के अन्य भी कई लाभ हैं, जैसे कि फसलों का बीमा ,पशुपालन एवं मछली पालन आदि के लिए भी न्यूनतम दर पर कर्ज लेने में सहायक होता है।

कृषि स्वर्ण लोन एवं एस बी आई कृषक उत्थान योजना में अंतर

कृषि स्वर्ण लोन योजना तथा एस बी आई कृषक उत्थान योजना (SBI Krishak Uthan Yojna) दोनों ही किसानों के लिए लोन देकर उनकी समस्याओं को दूर करने में काफी सहायक होती हैं। कृषि स्वर्ण योजना किसानों को ५० लाख तक की सहायता प्रदान करती है, जबकि एस बी आई २० हजार व्यय पर १ लाख तक की सहायता किसानों को उपलब्ध कराती है। दोनों योजनाओं का मकसद किसान की खुशहाली है। किसानों को उनकी फसल को तैयार करने के लिए किसी भी आर्थिक तंगी से न गुजरना पड़े, इसलिए ये योजनायें किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए कर्ज प्रदान करती हैं।


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भूमि खरीदी योजना क्या है ?

भूमि खरीदी योजना के तहत आर्थिक रूप से असमर्थ किसानों के लिए भूमि उपलब्ध कराने के लिए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया व अन्य सरकारी बैंकों से लोन प्रदान किया जाता है। भूमि की वास्तविक कीमत और उसकी सटीक जानकारी बैंक प्रबंधक को देने के उपरांत, भूमि की कीमत की ८५ प्रतिशत धनराशि बैंक द्वारा कर्ज के रूप में प्रदान करदी जायेगी। किसान भूमि खरीदकर, उसमें फसल उगा अपनी आय का स्त्रोत उत्पन्न कर सकते हैं और लोन की धन राशि को समयानुसार अदा भी कर सकते हैं।

कृषि सम्बंधित उद्योगों के लिए कितना लोन मिल सकता है

किसानों की आर्थिक स्तिथि को सुधारने के लिए एवं पूर्णतया कृषि पर निर्भरता को कम करने के लिए, नाबार्ड किसानों को २० लाख रूपये तक का व्यक्तिगत कर्ज उपलब्ध कराती है। इस योजना के तहत नवीन उघोग स्थापित करने के लिए किसानों को १ करोड़ तक का लोन प्रदान किया जाता है। कृषि उपचार केंद्र एवं कृषि सम्बंधित औघोगिक इकाइयां स्थापित होने से किसानों की आजीविका के लिए नवीन अवसर उपलब्ध होंगे, जिनकी सहायता से किसानों की अर्थव्यवस्था एवं जीवन शैली बेहतर पथ की और अग्रसर होगी।
अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

बदलते हुए मौसम के कारण आजकल मानसूनी गतिविधियों में तेजी से बदलाव आ रहा है, अब कहीं जरुरत से ज्यादा बरसात हो रही है तो कहीं सूखे का सामना करना पड़ रहा है। अगर इस साल भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों में सामान्य से ज्यादा बरसात रिकॉर्ड की गई है, जिसके कारण आम लोगों के साथ-साथ किसानों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस दौरान बहुत सारे किसानों की कई एकड़ फसलें पानी में डूब गईं, जिसके कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ है। किसानों को होने वाले नुकसानों को देखते हुए भारत सरकार ने किसानों के हित में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी, जिसके अंतर्गत किसान अपनी फसल का मामूली प्रीमियम भरकर बीमा करवा सकते हैं। अगर उनकी फसल किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा की वजह से खराब हो जाये या पूरी तरह से नष्ट हो जाए, तो किसान संबंधित बीमा कम्पनी से अपनी फसल के बीमा का क्लेम भी मांग सकते हैं, जिसके बाद संबंधित बीमा कंपनी किसान को हुए नुकसान की भरपाई करेगी।


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क्या है कृषि बीमा करवाने की प्रक्रिया

कृषि बीमा करवाना बेहद आसान है। इसके लिए किसानों को किसी भी बैंक या बीमा कंपनी के बार-बार चक्कर लगाने की जरुरत नहीं है। यदि किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड है या किसी किसान ने बैंक से पहले से ही लोन ले रखा है, तो उनके लिए यह प्रक्रिया और भी ज्यादा आसान हो जाती है। बीमा करवाने के लिए किसान को बैंक में जाकर एक फॉर्म भरना होगा, जिसके बाद फॉर्म के साथ आधार कार्ड, जमीन से संबंधित कागजात और वोटर आईडी की फोटो कॉपी लगानी होगी, इसके साथ ही पटवारी द्वारा जारी खेत में बोई गई फसल का ब्यौरा भी जमा करना होगा। यह सब बैंक में या बीमा कम्पनी में जमा करने के बाद किसान का बीमा बेहद आसानी से हो जाएगा।

कैसे क्लेम करें कृषि बीमा की राशि ?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कृषि बीमा दो प्रकार से क्लेम किया जा सकता है, पहले में यदि फसल पूरी तरह से खराब हो जाये या नष्ट हो जाये तो किसान फसल बीमा का क्लेम कर सकता है। और दूसरे में यदि किसान की फसल आंशिक रूप से खराब हो जाये या कम मात्रा में खराब हो तो भी किसान फसल बीमा का क्लेम कर सकता है। यदि फसल किसी प्राकृतिक आपदा से नष्ट होती है, जैसे - बाढ़, भीषण बरसात, ओले गिरना इत्यादि तो किसान को यह क्लेम लेने के लिए संबंधित बैंक या बीमा कंपनी में आवेदन करना पड़ता है। इसके साथ ही किसान को 72 घंटों के भीतर प्राकृतिक आपदा की वजह से नष्ट हुई फसल की जानकारी कृषि विभाग को देना अनिवार्य होता है। इस जानकारी में बीमा की फोटो कॉपी के साथ ही फसल का पूरा ब्योरा फॉर्म में भरना पड़ता है। वहीं यदि किसान की फसल आंशिक रूप से खराब हुई तो किसान को इसकी जानकारी कहीं देने की जरुरत नहीं है। बीमा कम्पनी या बैंक से सिर्फ क्लेम करने पर, सम्बंधित बैंक या बीमा कम्पनी नुकसान की राशि किसान के बैंक खाते में जमा कर देती हैं।


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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत सभी फसलों के नष्ट होने पर अलग-अलग बीमा राशि सम्बंधित बैंक या बीमा कम्पनी के द्वारा किसानों को दी जाती है। उदाहरण के लिए - यदि किसान की कपास की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है, तो किसान को 36,282 रुपये प्रति एकड़ की दर से बीमा राशि मिलेगी। वहीं अगर किसान ने अपने खेत में धान बोया है और धान की खेती प्राकृतिक आपदा की वजह से नष्ट हो गई है, तो किसान को 37,484 रुपये प्रति एकड़ की दर से बीमा राशि मिलेगी। इसी तरह से बाजरा, मक्का और मूंग की फसल के लिए क्रमशः 17,639 रुपये, 18,742 रुपये और 16,497 रुपये प्रति एकड़ की दर से किसानों को बीमा राशि प्रदान की जाएगी।
66 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करेगी यह राज्य सरकार, मिलेगी हर प्रकार की सुविधा

66 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करेगी यह राज्य सरकार, मिलेगी हर प्रकार की सुविधा

उत्तर प्रदेश सरकार लगातार किसानों के हितो में कार्य कर रही है, ताकि किसानों की आय को बढ़ाया जा सके। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार 66 लाख नए किसानों को 'किसान क्रेडिट कार्ड' (Kisan Credit Card) मुहैया करवाने जा रही है, ताकि किसान भाई आसानी से सरकार द्वारा दिए जा रहे कृषि सम्बंधित लाभों का उपयोग कर पाएं। फिलहाल अभी तक प्रदेश में 94 लाख से ज्यादा कृषकों के पास 'किसान क्रेडिट कार्ड' है। अब निश्चित तौर पर 'किसान क्रेडिट कार्ड' धारक कृषकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने वाली है। 'किसान क्रेडिट कार्ड' के माध्यम से सरकार कृषकों को बेहद सस्ती दरों पर अल्पकालिक लोन की सुविधा मुहैया करवाती है। जबकि इसके विपरीत बाजार में निजी संस्थाएं भी कृषि के लिए लोन मुहैया करवाती हैं जिनमें ब्याज की दर ऊंची रहती है, जिससे किसान कर्ज के जाल में फंस सकते हैं।

'किसान क्रेडिट कार्ड' के माध्यम से खेती की तैयार के लिए मिलेगी सुविधा

'किसान क्रेडिट कार्ड' के माध्यम से सरकार किसानों को खेती की तैयारी के लिए लोन उपलब्ध करवाती है। इनमें कृषि उपकरणों की खरीदारी से लेकर अन्य तरह की सुविधाओं के लिए लोन उपलब्ध करवाया जाता है। कृषि उपकरणों की खरीदारी के लिए किसान भाई 'किसान क्रेडिट कार्ड' के माध्यम से सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी का लाभ भी उठा सकते हैं। कई बार सरकार कृषि उपकरणों की खरीदारी पर सिर्फ उन्हीं किसानों को सब्सिडी देती है जिनके पास पहले से ही किसान क्रेडिट कार्ड होता है।

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'किसान क्रेडिट कार्ड' के माध्यम से किसानों को खाद, बीज और उर्वरक की भी मिलेगी सुविधा

किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसानों को खाद बीज के साथ ही उर्वरक और कीटनाशक खरीदने के लिए भी सरकार लोन उपलब्ध करवाती है। इस साल उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि बुंदेलखंड के कई जिलों में दलहनी और तिलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाया जाए। इसके लिए सरकार 'किसान क्रेडिट कार्ड' बनाने के लिए बुन्देलखंड के किसानों पर विशेष फोकस करने वाली है ताकि किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा सके और किसान भाई आसानी से अपनी जरुरत के मुताबिक़ खाद, बीज, उर्वरक और कीटनाशक खरीद सकें व जिससे किसानों की फसलों को किसी भी प्रकार के पोषण की कमी महसूस न हो। इसके अलावा सरकार ने बताया है कि रबी के सीजन में किसानों को डीएम-सीडीओ की ओर से भी बीज, खाद, कीटनाशक, कृषि संयंत्र भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। 

 इस साल प्रदेश में गेहूं का रकबा कम हो गया है, जिसके कारण बाजार में गेहूं की कमी महसूस की गई है। इसकी कमी को पूरा करने के लिए सरकार प्रयासरत है। इसलिए किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से सरकार किसानों को गेहूं के रकबे में बढ़ोत्तरी करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। 'किसान क्रेडिट कार्ड' के माध्यम से लोन लेकर किसान भाई गेहूं की अच्छी अच्छी किस्मों के बीज खरीद सकते हैं ताकि उनके उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो सके। इसके अलावा हाथ में पैसे होने के कारण गेहूं की खेती और सिंचाई में लगने वाले अन्य सामानों को भी किसान भाई आसानी से खरीद सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में मिला मछली पालन को कृषि का दर्जा, जाने किसानों के लिए कैसे है सुहाना अवसर

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छत्तीसगढ़ तालाबों और जलाशयों की भूमि है, इसलिए छत्तीसगढ़ में फसलों के साथ-साथ मछली पालन भी व्यवसाय एक अहम हिस्सा बन गया है। इसी के चलते हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार की एक घोषणा ने यहां पर मत्स्य पालन करने वाले लोगों को काफी राहत की सांस दी है। आंकड़ों की माने तो छत्तीसगढ़ भारत में मत्स्य पालन में आठवें नंबर पर आता है और माना जा रहा है, कि इस घोषणा के बाद इसके 6th नंबर पर आने की संभावना है। मछली पालन से यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हो सकती हैं और इसे ही देखते हुए सरकार ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिया है। प्रशासन की मानें तो यह है राज्य के लोगों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने और उन्हें आजीविका के और साधन देने के लिए लिया गया एक बेहतरीन फैसला है।

अब मछली पालन में क्या होंगे फायदे

अब मछली पालन के लिए लोन लेने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं, क्योंकि यहां पर कृषि की तरह ही बिना ब्याज के लोन देने का प्रावधान किया गया है। ऐसे में मछली पालन के व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही किसानों की आर्थिक समस्या का हल भी मिलेगा। ये भी पढ़े: जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ आजकल हमें यह भी देखने को मिल रहा है, कि सामान्य कृषि में लोगों का रुझान भी कम हो रहा है और साथ ही उसमें आमदनी भी कम होती जा रही है। बारिश के कम ज्यादा होने का मौसम के जरा सा इधर-उधर होने पर कृषि में किसानों की पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो जाती हैं। जिससे उन्हें काफी तंगी का सामना करना पड़ता है, ऐसे में इन सब चीजों को देखते हुए लोगों का रुझान मछली पालन की ओर ज्यादा बढ़ा है।

किस तरह से होगा लोन की दर में बदलाव

पहले की बात करें तो किसानों को 100000 के मूल्य पर 1% और 300000 तक के मूल्य पर 3% ब्याज की दर के साथ लोन दिया जाता था। लेकिन अब जबसे मत्स्य पालन को कृषि की तरह ही दर्जा मिल गया है, तो सरकारी विभाग से यह लोन बिना किसी ब्याज के किसानों को दिया जाएगा। साथ ही यहां पर भी किसान कृषि क्रेडिट कार्ड बनवा सकते हैं और उसका फायदा उठा सकते हैं।

मत्स्य पालकों को दी जाने वाली अन्य सुविधाएं और लाभ

वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ में 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बांधों एवं जलाशयों से नहर के माध्यम से जलापूर्ति की आवश्यकता पड़ती थी, जिसके लिए मत्स्य कृषकों एवं मछुआरों को प्रति 10 हजार घन फीट पानी के बदले 4 रुपए का शुल्क अदा करना पड़ता था, जो अब फ्री में मिलेगा। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=stwIUBJpMGE&t=4s[/embed] मत्स्य पालक कृषकों एवं मछुआरों को प्रति यूनिट 4.40 रुपए की दर से विद्युत शुल्क भी अदा नहीं करना होगा। ये भी पढ़े: 66 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करेगी यह राज्य सरकार, मिलेगी हर प्रकार की सुविधा
  • राज्य सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान (सब्सिडी) उपलब्ध कराती है।
  • मत्स्य पालकों को 5 लाख रुपए तक का बीमा दिया जाता है।
  • मछुआ सहकारी समितियों को मत्स्य पालन के लिए जाल, मत्स्य बीज एवं आहार के लिए 3 सालों में 3 लाख रुपए तक की सहायता दी जाती है।
क्यों घट रही है किसान क्रेडिट कार्ड लेने वालों की संख्या, जाने क्या है सरकार के उपाय

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सरकार ने किसानों की मदद करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) योजना लागू की थी। इसके तहत किसानों को क्रेडिट कार्ड दिए जाते हैं, जिसकी मदद से वह अपनी वित्तीय सहायता कर सकते हैं। लेकिन हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पांच राज्यों में किसान क्रेडिट कार्ड लेने वाले किसानों की संख्या लगभग 88% तक कम हो गई है।

5 राज्यों का रिकॉर्ड है बेहद खराब

हालांकि पूरे देश में ही किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की दर में कमी आई है। लेकिन देश के पांच ऐसे राज्य हैं, जिनका रिकॉर्ड बेहद खराब है। इन पांच राज्यों में त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, पश्चिमबंगाल और असम शामिल हैं। अगर हर राज्य की गिरावट की प्रतिशत दर देखी जाए तो त्रिपुरा में 96.20 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर में 93.33 प्रतिशत, चंडीगढ़ 85.09 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल 83.11 प्रतिशत, असम में 82.73 प्रतिशत कमी दर्ज की गई। अगर केवल इन्हीं राज्यों के आंकड़ों के बारे में चर्चा की जाए तो पांच राज्यों के आधार पर ही किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की दर में 88% तक की गिरावट दर्ज की गई है।


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किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की दर में गिरावट के कारण क्या हैं?

सरकार इस गिरावट को लेकर चिंता में हैं। किसान क्रेडिट कार्ड में किसानों के लिए बहुत ही लुभावने ऑफर दिए गए हैं। यहां पर ब्याज की दर केवल चार से 5% तक रखी गई है, जबकि किसी भी अन्य बैंक से लोन लेने पर दर लगभग 9 से 12% के मध्य ही रहती है। फिर भी किसान किसान क्रेडिट कार्ड से लोन नहीं लेना चाहते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण जो सामने आया है, वह है कि किसान लोन लेने के बाद उसे भरने में सक्षम नहीं है। एक बार किसी भी प्राकृतिक कारण से अगर फसल बर्बाद हो जाती है, तो किसान उसकी भरपाई नहीं कर पाते हैं।

इसलिए भी नहीं मिले कार्ड

इसके अलावा बहुत से किसान कार्ड लेने के लिए मान्यता ही नहीं रखते हैं। किसान क्रेडिट कार्ड लेने के लिए किसानों के पास अपना जमीन का टुकड़ा होना बेहद जरूरी है। साथ ही, एक बार लोन लेने के बाद मार्च में क्लोजिंग के समय उन्हें ली गई पूरी राशि को एक साथ जमा करना पड़ता है। दोनों ही मापदंड पूरे ना किए जाने की स्थिति में उन्हें कार्ड नहीं मिल पाता है।
डिफॉल्टर किसान दोबारा ले सकेंगे लोन, बस इन नियमों का रखना होगा ध्यान

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सहकारी और राष्ट्रीकृत बैंकों का लाखों करोड़ों किसानों पर कर्ज बकाया है. अगर किसान समय पर अपना लोन नहीं चुका पाते, तो उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है. जिसके बाद किसानों के कर्ज लेने के सारे रस्ते बंद हो जाते हैं. हालांकि लोन लेने के अपने कुछ क़ानूनी नियम होते हैं. लेकिन ऐसा कई बार होता हैं जहां फसलों की बर्बादी या फिर मौसम की मार की वजह से किसान अपना लोन नहीं चुका पाते. लों की किस्ते चुकाने के लिए बैंक की तरफ से भी कई फोन किये जाते हैं. लेकिन देरी की वजह से कई तरह तरह की पेनाल्टी लग जाती है और लोन की रकम पहले से कहीं ज्यादा बढ़ जाती है. एल तो पहले का लोन उसके ऊपर से उसमें लगी पेनाल्टी किसानों पर डबल बोझ डाल देती है. जिसे चुकाना आसान नहीं होता. ऐसा कई बार होता है कि, जमानत के तौर पर किसानों को अपनी जमीन तक बेचनी पड़ जाती है. खेती किसानी में पैसों की जरूरत होती है, इसलिए जो किसान डिफॉल्टर घोषित कर दिए जाते हैं, वो किसी बैंक से लोन ले सकते हैं.

डिफॉल्टर किसानों के बारे में

किसान जब पुराने लोन की किस्ते या फिर ईएमआई (EMI) का सही समय पर भुगतान नहीं कर पाते तो बैंक उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर देती है. इस वजह किसानों को दोबारा लोन लेने में काफी समस्या होती है. क्योंकि बैंक चाहे कोई भी हो, बैंक लोन देने से पहले रिकॉर्ड जरूर चेक कर लेती है. ऐसे में लोन वसूलने के लिए बैंक और एजेंट्स लगातार संपर्क करते हैं. अपनी क्रेडिबिलिटी को दिखाने केलिए किसान लेट फीस के साथ लोन की रकम जमा करके अपना क्रेडिट स्टेट्स सुधार सकते हैं. ये भी देखें:
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डिफॉल्टर किसानों को दोबारा मिल सकता है लोन

लोन देने के लिए सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्टेटस को जांचा जाता है. अगर किसान ने पुराना लोन भले ही देर से चुका दिया जाए, तो दोबारा लोन मिल सकता है. लोन के लिए 750 सिबिल स्कोर होने जरूरी है. इसके अलावा देश में कई वित्तीय संस्थान 300 से ज्यादा सिबिल स्कोर वाले आवेदकों को लोन दे देते हैं. लेकिन उनकी ब्याज ड्रोन की बात करें, तो वो काफी ज्यादा होती है.

सिबिल स्कोर सुधारने के लिए करें ये काम

अगर आप डिफॉल्टर किसान घोषित नहीं होना चाहते हैं, तो अपना सिबिल स्कोर सुधारने की कोशिश करें. इसके लिए आपने जिस भी बैंक से लोन लिया है, उसकी बजाय किस्त समय पर चुका दें. किसान की जितनी आय हो उस हिसाब से लोन पास करवाना चाहिए. ताकि उसे आसानी से चुकाया जा सके. ये भी देखें: अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

लोन के लिए शर्तें भी

डिफॉल्टर किसानों के लिए प्राइवेट बैंक और कंपनी ने लोन के लिए रास्ता साफ़ कर दिया है. लेकिन इसकी शर्त यही है कि, किसान को जमानत या कोई गारंटी देनी होगी. देश में कई ऐसे राज्य हैं, जहां की सरकारें कर्जमाफी और ब्याज पर माफ़ी की योजनाएं ला चुकी हैं. इतना ही नहीं लोन पर बीज, खाद, मशीन खरीदने और उर्वरक पर सहूलियत दी जाती है.
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत दी जाएगी किसानों को पेंशन; जाने क्या है स्कीम

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत दी जाएगी किसानों को पेंशन; जाने क्या है स्कीम

भारत सरकार किसानों के कल्याण के लिए समय-समय पर कई तरह की योजनाएं चलाती रहती है. अभी भी सरकार द्वारा किसानों के हित का ध्यान रखते हुए पीएम किसान सम्मान निधि, किसान समृद्धि केंद्र, किसान क्रेडिट कार्ड और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना समेत कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है. 

हम सभी जानते हैं कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल ₹6000 दिए जाते हैं जो उन्हें ₹2000 की किस्त में तीन बार खाते में दिए जाते हैं. 

सरकार द्वारा किसानों को उनके बुढ़ापे के दौरान मदद करने के लिए एक पेंशन स्कीम भी चलाई जा रही है. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत किसान सरकार से पेंशन ले सकते हैं.

क्या है प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना?

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना सरकार के द्वारा चलाई गई योजना है जो छोटे और सीमांत किसानों के लिए चालू की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य बुढ़ापे में किसानों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा देना है. 

18 से 40 साल की उम्र के किसान इस योजना के तहत फायदा ले सकते हैं. अगर जमीन की बात की जाए तो 2 हेक्टेयर तक की खेती योग्य भूमि वाले छोटे और सीमांत किसान इस योजना के लिए आवेदन दे सकते हैं. 

इसके अलावा अगर उनके नाम पर राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेशों में किसी भी तरह की भूमिका रिकॉर्ड है तो इस योजना के तहत उन्हें योग्य नहीं माना जाएगा. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के अनुसार एक बार किसान जब 60 वर्ष की उम्र पूरी कर लेता है तो उसके बाद उन्हें हर महीने ₹3000 की न्यूनतम पेंशन सरकार द्वारा दी जाएगी.  

इसके अलावा अगर किसी कारण से किसान की मृत्यु हो जाती है तो किसान की पत्नी या फिर परिवार को पेंशन का आधा हिस्सा यानी कि 50% पेंशन मुहैया करवाई जाएगी. सरकार द्वारा दी जाने वाली यह पेंशन केवल पति पत्नी के लिए ही लागू है एक बार किसान की मृत्यु होने पर उसके बच्चे इस योजना के तहत लाभ नहीं उठा सकते हैं. 

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कितने किसान  दे रहे हैं आवेदन?

इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष की आयु के बीच में किसान आवेदन दे सकता है.  इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए किसानों को 60 साल की उम्र तक हर महीना केवल 55 से ₹200 का योगदान करना होगा. 

एक बार 60 वर्ष का हो जाने के बाद आप इस स्कीम के तहत पेंशन राशि प्राप्त करने के लिए योग्य हो जाते हैं. इसके बाद हर महीने उनके पेंशन खाते में एक निश्चित राशि सरकार द्वारा जमा होती रहेगी. 

इस योजना में सरकार मिलान योगदान देती है. उदाहरण के लिए अगर कोई भी किसान खाते में ₹200 जमा कर रहा है तो सरकार की तरफ से भी उस खाते में ₹200 जमा किए जाएंगे. आंकड़ों की मानें तो अभी तक लगभग 2 करोड़ से ज्यादा किसान प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के विकल्प को चुनने के लिए आवेदन दे चुके हैं